Friday 3 September 2010

कौन है ऊपर?



इस ब्लॉग के लिए जब भी लिखने की सोचती हूं अरू की ही बातें ज़्यादा याद रहती हैं क्योंकि एक तो वन्या थोड़ी बड़ी हो गई है बेवकूफी भरी शरारतों के लिए, दूसरा वो अपनी उम्र से कुछ ज़्यादा गंभीर लगती है मुझे और तीसरा कि दिन का ज़्यादातर हिस्सा उसका स्कूल में और वहां आने जाने में बीत जाता है। अब मैं उसकी बहुत छोटेपन की बातों को याद करने की कोशिश करती हूं तो ठोस सा कुछ याद ही नहीं आता (इतनी जल्दी भूल गई मैं उन प्यारी बातों को...!!)

हां, एक बात है जो मैं अक्सर याद करती हूं। उस वक्त वन्या तीन या साढ़े तीन साल की थी। वो घर के बाहर हरबीरदा के साथ बैठी बातें कर रही थी। मैं घर के अंदर थी क्योंकि हमारे घर की खिड़की बहुत नीची है तो मुझे उन दोनों की बातचीत साफ सुनाई दे रही थी। बहरहाल वन्या हरबीरदा, जो सोनापानी में हमारे साथ काम करते हैं, से पूछ रही थी कि आसमान में क्या-क्या होता है। उन्होंने जवाब दिया कुछ नहीं, वन्या ने बहुत आश्चर्य से कहा क्यों आपको सूरज और चंदामामा नहीं दिखते क्या। हरबीरदा ने हंसते हुए कहा हां दिखता है।

वन्या ने फिर पूछा और क्या होता है आसमान में। इस बार थोड़ी होशियारी दिखाते हुए उन्होंने जवाब दिया तारे भी होते हैं, बादल भी होते हैं कभी-कभी इंद्रधनुष भी होता है। हां..और चिड़िया, कौए, तोते भी होते है...बहुत विचारमग्न मुद्रा में वन्या ने उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए फिर पूछा, "लेकिन और क्या होता है?" अब हरबीरदा को कोई जवाब नहीं सूझा तो वन्या बोली, "क्यों भगवान जी नहीं रहते क्या वहां।" हरबीरदा बोले, "भगवान तो मंदिर में रहते हैं!! वन्या का जवाब था हां वहां भी आते हैं कभी-कभी लेकिन घर तो उनका आसमान में ही है। दरअसल उसने पोगो में दिखाए जा रहे सीरियल कृष्णा में देखा था कि कृष्ण जन्म के समय सारे देवी-देवता ऊपर से फूल बरसा रहे हैं तो शायद यह बात उसकी कल्पना में बैठी हुई थी। ज़ाहिर सी बात है हरबीरदा लाजवाब थे।

लेकिन वन्या की आगे की बात सुन कर मैं चौंक कर रह गई जब उसने कहा, “पता है और कौन रहता है आसमान में?” जवाब में हरबीरदा ने कहा, “नहीं! तुम बताओ कौन रहता है? वन्या बोली, जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उनके मम्मी-पापा आसमान में चले जाते हैं। उन्होंने कहा, "मैं तो नहीं जाऊंगा।" वन्या ने कहा, “जब पवन दादी (पवन हरबीरदा का बेटा है जो सोनापानी में ही रहता था और तब नवीं या दसवीं में था। दादी का संबोधन इस इलाके में बड़े भाई के लिए होता है) बड़े हो जाएंगे तो आपका घर आसमान में हो जाएगा। जब मैं बहुत बड़ी हो जाऊंगी तो मेरी मम्मी भी आसमान में चली जाएगी।"

मैं कमरे में बैठी- बैठी कांप रही थी कि मेरी इतनी छोटी बच्ची ये सब कहां से सीख रही है, उसके मन पर कितना खराब असर पड़ेगा इस तरह की बातों का...वगैरह वगैरह। इतने में वन्या की आवाज़ आई कितने मज़े आते होंगे न ऊपर। भगवान जी के महल में रहो और मज़े से चॉकलेट खाओ। ऊपर से नीचे फेंक दोगे तो कोई उसे पकड़ कर खा लेगा। मतलब कि बातों का सिलसिला फिर बेसिरपैर की बकवास की ओर मुड़ गया और मैंने चैन की सांस ली। न हरबीरदा ने कभी मुझसे इस बात का ज़िक्र किया न मैंने कभी दोबारा वन्या का ध्यान इस ओर दिलाया, लेकिन यह बात मुझे भूलती नहीं!

फोटो में उस समय की वन्या