Wednesday, 28 November 2012

आउच



 "मम्मा!"
"हूं"
"सुनो तो"
"क्या है"
"अरे सुनो तो बहुत मज़ेदार बात है।"
"बता फिर"
"पता है आजकल जब हम क्लास में आउच बोलते हैं तो पुष्पा दीदी (class teacher) कहती हैं अरे आउच मत बोलो नहीं तो रश्मि का भाई जाएगा।"
(रश्मि अरू की क्लास में पढ़ती है और उसका भाई अभी 15-20 दिन पहले ही पैदा हुआ है)
"क्यों, आउच बोलने से रश्मि का भाई क्यों आएगा?"
"अरे उसके भाई का नाम आउच है ना...इसलिए।"
"पागल है क्या किसी का नाम आउच होता है क्या?"
"जी.. हां होता है जीरश्मी ने ही पुष्पा दीदी को बताया था जी..।" (तीनों बार जी पर ज़्यादा जोर था)
अब तक चुपचाप नाश्ता कर रही वन्या ने मुझे समझाते हुए कहा, "मम्मा रश्मी के भाई का नाम आयुष है कि आउच।"

(चार पांच साल के बच्चों के मुंह से 'आयुष' का उच्चारण 'आउच' की कल्पना से मुझे हंसी गई। अरू के माथे पर गुस्से की लकीरें देख कर अंदाज़ा लग गया कि गल्ती हो गई है बॉस, मेरी हंसी से अरू के स्वाभिमान को ठेस पहुंची थी।)

"जी नही उसका नाम आउच है जी..अरू अब भी अड़ा है।
"आयुष है" वन्या ने दोहराया।
"आउच"
"आयुष"
"आउच"
"आयुष"
.....मम्मा अरू को देख लो लड़ाई कर रहा है...
"मम्मा पहले दीदी ने लड़ाई शुरु की...
....................वां..आं....वां.....मम्माआआ......

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