Friday, 6 August 2010
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यह मेरे बच्चों वन्या और अरण्य के बचपन के इन दिनों को कैद कर सहेज कर रखने की मेरी कोशिश भर है। हर बीतते दिन के साथ वो बढ़े हो रहे हैं, अक्सर सोचती हूं कितने दिन बची रहेगी उनकी यह मासूमियत यह निश्चलता? सो इन दिनों, इन पलों को शब्दों में बांध कर रखने की मंशा से यह ब्लॉग।
रूचियां- खेलना, शैतानी करना और नई-नई बातें बनाना।
फिल्में- हनुमान, जजंतरम-ममंतरम, हनुमान रिटर्न्स, रामायण (जापान के सहयोग से बनी पुरानी वाली), घटोत्कच, होम अलोन, चिल्ड्रन्स ऑफ हैवन, जंगल बुक, गॉड मस्ट बी क्रेजी-पार्ट1, आइज एज-1 और 2, बेबीज़ डे आउट, ट्वैल्व डांसिंग प्रिंसेस, टिंकर बेल, जंबो और बाकी अभी याद नहीं आ रहीं।
पसंदीदा संगीत- नाटक ऐसा कहते हैं के सारे गाने, दिल्ली-6 का मसक कली, थ्री इडियट्स का 'आल इज़ वेल' और 'give me some sunshine' फिलहाल इन्ही पर जोर है।
पसंदीदा किताबें- पंचतंत्र, सफदर हाशमी की बाल कविताएं, एनिड ब्लाइटन की द ब्लू आइड कैट, द टॉकिंग शूज़ और द लिटिल स्मैली डॉग खास तौर पर पसंद हैं। इसके अलावा बहुत सारी कहानी की किताबें हिंदी और अंग्रेजी में। वन्या साढ़े छह साल की हो गई है इसलिए खुद पढ़ती है हिंदी फर्राटे से और अंग्रेजी ठीकठाक। छोटा अरण्य ढाई साल का होने वाला है उसे अब तक अक्षरों तक की भी पहचान नहीं है लेकिन उसे किताबें पसंद है इसलिए कोई न किताब ले कर बैठा रहता है और मन से कहानियां बनाता है।
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